
हमेशा ये हल्ला होता रहता है की शिक्षा का अधिकार हो, शिक्षा शक्ति है इत्यादि इत्यादि। पर, उसकी धारा में टीवी पर आये नेता - राजनितिक ही नहीं सामाजिक भी जता जाते हैं कि "education is a privilege"। वो मुखिया हैं समाज के तो सही ही जता जाते हैं। अब देखिए, देश के किसी कोने में एक सरकारी स्कूल में जाना तो अधिकार है... और शक्ति भी क्यूंकि दिन में खाना तो मिल जता है... सडी गली सब्जी वाली खिचडी ही सही। पर उस शिक्षा का ही अधिकार हमें दिया है समाज के मुखिया ने, एडुकेशन का नही। एडुकेशन तो मिलती है अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में जहाँ से जाने के बाद आदमी "काबिल" बन सके ... नौकरी चाकरी मिल सके... मेरे हिसाब से जो पढाई आज रोटी देती है वो शिक्षा है, जो कल दे वो एडुकेशन।
हमेशा यह सवाल हमलोग एक दुसरे से नहीं पूछ पाते हैं कि उंगली तो दिखा दिए पर भाई तुम क्या किये? जबाब तो मेरे पास नही है... पर करना क्या होगा? सारी तरह की गरीबी - जैसे सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक में सबसे असरदार शैक्षणिक गरीबी है॥ आदमी को पंगु बना देती है अपने अधिकारों के बारे में, रोटी के बारें में, सामाजिक गरीबी को थोड़े दिनों में खुद से बुला लाती है। शायद समाज के सम्पन्न वर्ग का फायदा है। कोई तो मिलेगा गाली सुनके घर की साफ सफ़ाई करे। पर भाई, कुछ तो करना होगा.... कम से कम जब भी छुट्टियों में घर जाएँ एक बार अगल बगल वाले सरकारी स्कूल में जाये तो शायद मालुम पड़ जाएगा की क्या करना है। शायद शिक्षा का एडुकेशनीकरण हो जाये।